How हल्दी के चमत्कारी फायदे can Save You Time, Stress, and Money.
हालांकि सरकार ने इनके प्रयोग पर बैन लगा रखा है बावजूद उसके लोग इसके धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं जोकि आपकी सेहत के लिए हानिकारक है. इसके सेवन से एलर्जी और कई अन्य तरह की परेशानियां भी हो सकती है.
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क्या तंदूरी खाने का सेवन करना सही है. इसके कितने नुकसान सेहत पर पड़ेंगे, और कितना फायदा मिलेगा? आज डीएनए हिंदी के इस लेख में, हम तंदूरी भोजन से जुड़े सभी संभावित स्वास्थ्य लाभों और जोखिमों के बारे में आपको बताएंगे.
हल्दी में सक्रिय तत्व करक्यूमिन में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए गए हैं। यह मस्तिष्क के कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है।
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गेहूं, जौ या राई के आटे वाली हल्दी का सेवन करने से ग्लूटेन असहिष्णुता या सीलिएक रोग वाले लोगों में प्रतिकूल लक्षण दिखाई दे सकते है।
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पेट में अल्सर जैसी समस्या भी कहीं न कहीं पाचन का खराब होना ही माना गया है। हल्दी में पाचक और शोथहर होने के साथ इसमें रोपण (हीलिंग) का भी गुण होने के कारण ये पेट के अल्सर से छुटकारा दिलाती है।
एक चौथाई चम्मच हल्दी का प्रयोग दोपहर या रात के भोजन में कर सकते हैं।
अगर हड्डी टूट गई हो और प्लास्टर बना हो तो हल्दी का नियमित सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
पेट में गैस आदि परेशानियाँ भी पाचकाग्नि के मंद पड़ जाने के कारण होती है जो पाचन तंत्र को भी बिगाड़ देती है। हल्दी में उष्ण गुण होने के कारण यह पाचकाग्नि को बढ़ा कर पाचन तंत्र को स्वस्थ करने में मदद करती है, जिससे गैस की समस्या से छुटकारा मिलता है।
गर्म तासीर वाली हल्दी में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण इस चोट, घावों में फायदेमंद, एंटी-इंफ्लामेन्ट्री गुण शरीर में सूजन के कारण have a peek at this web-site पैदा होने वाले गठिया और अन्य रोगो में फायदेमंद बनाते है। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और अन्य पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करके शरीर को इंफेक्शन, सर्दी-जुकाम आदि रोगो से दूर रखने में बेहद फायदेमंद साबित होते है।
ऐतिहासिक रूप से, हल्दी का उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के साथ-साथ पूर्वी एशियाई चिकित्सा प्रणालियों जैसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता था। भारत में, यह पारंपरिक रूप से त्वचा, प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने, श्वास सम्बन्धी समस्याओं, जोड़ों और पाचन तंत्र के विकारों को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता था।